फ़ॉलोअर

शनिवार, 26 नवंबर 2011

चूहेदानी




एक कहानी याद आती है ... कभी मेल में आई थी ...

चूहे ने झिर्री से झाँका तो देखा क़ि किसान एक बड़ा डिब्बा लाया है | उसे बड़ी उत्सुकता हुई की यह क्या नया खाने का सामान है ...  तो किसान और उसकी पत्नी की बातें सुनने लगा | किसान अपनी पत्नी से कह रहा था - मैं एक चूहेदानी  लाया हूँ | बेचारा चूहा -- बड़ा घबराया | भाग कर अपने दोस्तों को बताने लगा इस बारे में |
       
        मुर्गे ने उसकी परेशानी सुन कर कहा - "अरे मित्र - मुझे तुम्हारे लिए बहुत दुःख है - मैं ज़रूर तुम्हारे लिए प्रार्थना करूंगा|"
         
        सांप यह सुन रहा था - खुश हुआ क्योकि वह कई दिनों से इस चूहे को खाना चाहता था, लेकिन पकड़ न सका था |

        अब बेचारा डर के मारे बकरे के पास गया - तो उसने कहा "मुझे तुम्हारे लिए बड़ा दुःख है - किन्तु यह मेरी परेशानी नहीं है|"

         इसी तरह बड़े बैल ने भी कोई सहानुभूति नहीं दिखाई |


रात हुई - पट से चूहेदानी की आवाज़ आई तो सब सोचने लगे की क्या फंसा होगा| किसान की पत्नी भागी आई और चूहेदानी के पास जांचने पहुंची| उसमे एक सांप की पूँछ फंसी थी| जब वह वहां पहुंची - तो सांप ने उसे काट लिया | किसान भागा आया , सांप को मार दिया और पत्नी को अस्पताल ले गया | लेकिन लौटने पर भी उसे बुखार था |  अब यह तो सभी जानते हैं बुखार में - मुर्गे का शोरबा {चिकन सूप) फायदेमंद होता है - तो मुर्गा बेचारा कट गया|

         पत्नी की तबियत ठीक नहीं हो रही थी - तो तीमारदारी के लिए कुछ रिश्तेदार आये - इतने लोग - तो अब कटने की बारी बकरे की आई |

          दुर्भाग्य से पत्नी बची नहीं - तो अंतिम क्रिया के लिए कई लोग आये | तो अब - मिस्टर बैल जी शहीद हुए ....

           इसलिए -- जब कोई एक व्यक्ति घर में परेशानी में हो - और हम आराम से बैठे हों - तो यह समझें की अगली बारी शायद ..... 
         

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें